व्यवसायी परिवार में जन्म हुआ । 13 - 14 वर्ष की आयु में पारिवारिक व्यापार में रुचि लेनी शुरू की। 1971 में परिवार में बंटवारे के बाद पिताजी को 'साप्ताहिक रांची एक्सप्रेस' एवं मुद्रण का व्यवसाय मिला। 'सप्ताहिक रांची एक्सप्रेस' का प्रकाशन 1963 में आरंभ हुआ था और यह पत्रिका दक्षिण बिहार की सर्वाधिक लोकप्रिय हिन्दी की साप्ताहिक पत्रिका थी। उस समय 'रांची एक्सप्रेस' सबसे अधिक प्रसारित सुसंपादित 'समाचार-पत्र' माना जाता था जिसके सम्पादक श्री बलबीर दत्त थे। 'रांची एक्सप्रेस' को 'मातृश्री' अवार्ड से भी नवाजा गया था। धीरे-धीरे मुद्रण के जॉब वर्क का कार्य बंद कर हमारे परिवार ने रांची एक्सप्रेस के प्रकाशन पर पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया। 1976 में इसे साप्ताहिक से दैनिक कर दिया गया। इस कार्य में पिताजी, बड़े भाई विजय मारू और पवन मारू के साथ मैं भी लग गया। रांची एक्सप्रेस को जब दैनिक किया गया तो उस वक्त देश में आपातकाल लगा हुआ था। आपातकाल के विरोध में 'रांची एक्सप्रेस' ने अपना संपादकीय पृष्ठ खाली रखा था। उस वक्त, आज की तरह आधुनिक प्रिंटिंग मशीन और समाचार-संकलन के साधन नहीं थे। आपातकाल में समाचार-पत्रों के प्रकाशन पर सेंसरशिप लगी हुई थी। सभी पृष्ठों को मुद्रण के पहले रांची प्रशासन के अधिकारी से अनुमति लेकर समाचार-पत्र को छापना पड़ता था। उस वक्त फोटो, कार्टून, विज्ञापन सामग्री के ब्लॉक बनाकर उसका उपयोग छपाई में किया जाता था। समाचार-पत्र में समाचारों को हाथों से अक्षर को लगाना पड़ता था जिसे हैण्ड कम्पोजिंग कहा जाता था तथा उसके बाद प्रूफ निकाल कर गलतियों को सुधारने के बाद पेज की डमी के अनुसार कम्पोज किये हुए मैटर को लगाकर फ्लैट बेड मशीन में पूरे मेटल के पेज पर रखकर रातभर मशीन में छपाई की जाती थी। पहले मुद्रण फ्लैट मशीन पर होता था, जिसमें पहले समाचार-पत्र न्यूज़प्रिंट के एक तरफ फिर दूसरी तरफ छपता था। समाचार-पत्र उद्योग में आरम्भ से रुचि होने के कारण कंपोजिंग, प्रिंटिंग, फोल्डिंग से लेकर सभी कार्य मैंने किया यहां तक कि हॉकरों के नहीं आने पर बाजार में अखबार बेचने का कार्य भी किये। फ्लैट बेड मशीन के बाद हमने 1978 में रोटरी मशीन ली। यह हमारा आधुनिकीकरण का पहला अध्याय था, जिसका उद्घाटन 1978 में तत्कालीन विदेश मंत्री श्रद्धेय अटल जी ने किया था। इस रोटरी मशीन में अखबार एक साथ 8 पृष्ठ छप कर तथा फोल्ड होकर निकलते थे। उसके बाद हमने 1980 में ‘ओरिएंट’ की वेब ऑफसेट मशीन ली, जिसमें 12 पृष्ठ एक साथ छप कर और फोल्ड होकर निकलते थे। साथ-साथ अमेरिका से 'फोटो टाइप सेटर' आयात किया गया। फोटो टाइप सेटर तब समाचार-पत्र उद्योग की आधुनिकतम कम्प्यूटर ऑपरेटेड मशीन थी जो उस वक्त बिहार की पहली मशीन थी जिसमें समाचारों को मेटल कंपोजिंग की जगह टाइप करके निकालना पड़ता था और फिर उसे विभिन्न प्रक्रिया के बाद ऑफसेट मशीन पर मुद्रित किया जाता था। उसी वक्त 1980 में मुझे हमारी कंपनी 'रांची प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड' का वित्त निदेशक बनाया गया।
1978 में हमारे प्रकाशन समूह ने 'जय मातृभूमि' के नाम से भारतीय संस्कृति को समाज में प्रचारित करने के उद्देश्य से रांची और पटना से साप्ताहिक-पत्र निकालने का निर्णय लिया। 'जय मातृभूमि' राष्ट्रीय एकता भावना से ओतप्रोत वाला साप्ताहिक समाचार पत्र था। पिताजी ने इसके लिए 'रांची एक्सप्रेस' के संपादक बलबीर दत्त जी से बात कर इसकी तैयारी आरंभ की और अक्टूबर से इसे प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि इसका लोकार्पण लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी से कराया जाए। उनकी अस्वस्थता के कारण इस कार्यक्रम को उनके पटना स्थित आवास पर कराना तय हुआ। विशिष्ट अतिथियों के रूप में दिल्ली से 'दीनदयाल शोध संस्थान' के प्रमुख और प्रख्यात
राजनेता और समाजसेवी नानाजी देशमुख और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय कर्पूरी ठाकुर जी को आमंत्रित किया गया। इसकी तैयारी आरम्भ कर पटना में 8 अक्टूबर' 1978 को कार्यक्रम करना निश्चित हुआ। रांची से पिताजी, श्री बलबीर जी और मैं भी पटना गया।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण 'जय मातृभूमि' के प्रथम अंक का लोकार्पण करते हुए
मंच पर अतिथियों के साथ पिताजी
यह कार्यक्रम पटना में लोकनायक के आवास पर संपन्न हुआ और 'जय मातृभूमि' का लोकार्पण किया गया। उसी कार्यक्रम में माननीय नानाजी देशमुख ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। नानाजी की घोषणा ने तब राजनीति में हलचल ला दी थी। हमारे इस कार्यक्रम में पटना के प्रबुद्धजनों, राजनेतागण एवं हटिया विधानसभा के तत्कालीन विधायक श्री सुबोधकांत सहाय भी उपस्थित थे।
उसी वक्त हमारा तीसरा प्रकाशन अंग्रेजी साप्ताहिक 'रांची हेराल्ड' भी आरंभ किया गया। इसके संपादक बड़े भाई विजय मारू हुए। इस पत्रिका के पाठकों की कमी के कारण कुछ वर्षों तक चलने के बाद इसे बंद कर दिया गया।
हमारा चौथा प्रकाशन 1983 के वर्ष में टीवी पर आधारित कार्यक्रम की पत्रिका 'युगश्री' थी। इस मासिक पत्रिका को ब्लैक एंड वाइट से कलर और मासिक से द्विमासिक किया गया। टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम पर सालाना पुरस्कार का आयोजन भी मुंबई में आरम्भ किया गया। जिसमें दूरदर्शन पर दिखाये जाने वाले धारावाहिक' मसलन- 'महाभारत', 'रामायण' तथा अन्य कार्यक्रम के कलाकारों और निदेशकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले कलाकारों में 'महाभारत' के भीष्म मुकेश खन्ना भी शामिल थे।
पत्रिका के संपादक पवन मारु थे। युगश्री पत्रिका ने ना केवल बिहार' बल्कि पूरे देश में छाप छोड़ी। इसकी सामग्री काफी रोचक हुआ करती थी।
1990 के दशक में हमारा पांचवां प्रकाशन 'सांध्य रांची एक्सप्रेस' प्रारंभ हुआ, जो इस क्षेत्र का प्रथम सांध्य दैनिक था। इसके संपादक भी बड़े भाई पवन मारु ही थे। यह 8 पृष्ठ का टेबोलाइड आकार का अखबार था।
इसी दशक में हमने छठा प्रकाशन पिंक न्यूजप्रिंट पर अंग्रेजी में दैनिक 'इकोनॉमिक रांची एक्सप्रेस' आरंभ किया। 'इकोनॉमिक रांची एक्सप्रेस' के साथ वरिष्ठ पत्रकार मोहन सहाय, डॉक्टर बीपी शरण आदि जुड़ें।
हमारा अगला प्रकाशन था शहर की व्यावसायिक गतिविधियों की जानकारी के लिए येलो पेज की तर्ज पर 'एक्सप्रेस इंफो बुक' का सालाना प्रकाशन। जिसका संपादन अजय मारू ने किया। इस 'इंफोबुक 'में शहर की प्रमुख हस्तियों, चिकित्सकों, अस्पतालों, होटलों, सरकारी विभागों, प्रमुख संस्थानों के पते, फोन नंबर उपलब्ध रहते थे।
2000 के दशक में 'झारखंड क्लासिफाइड्स' का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसके संपादक मनीष मारू थे।
इसी बीच 1996 से 2002 तक मैंने 'रांची एक्सप्रेस' के संपादक के दायित्व का निर्वहन किया और राज्यसभा में जाने के बाद पुनः श्री बलबीर दत्त जी ने रांची एक्सप्रेस के सम्पादक
का दायित्व निभाया। उसी बीच दैनिक रांची एक्सप्रेस को नई मशीन लगाकर रंगीन किया गया।
'रांची एक्सप्रेस' कई दशकों तक बिहार का प्रमुख दैनिक अखबार तथा दक्षिण बिहार का सर्वाधिक प्रसारित दैनिक रहा।
1981 में 'रांची एक्सप्रेस' ने दक्षिण छोटानागपुर के साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिए देश के प्रमुख साहित्यकार ‘राधाकृष्ण जी’ के नाम से वार्षिक पुरस्कार आरंभ किया। प्रथम 'राधाकृष्ण पुरस्कार' समारोह 13 दिसंबर' 1981 में आयोजित किया गया जिसके मुख्य अतिथि देश के प्रमुख साहित्यकार विष्णु प्रभाकर जी थे और रामकथा मर्मज्ञ डॉक्टर कामिल बुल्के जी (अब स्वर्गीय) ने समारोह की अध्यक्षता की थी।
यह कार्यक्रम आरम्भ के कई वर्षों तक अपर बाजार के गोविंद भवन एवं बाद में जैन मंदिर सभागार में आयोजित किया गया। सम्मानित होने वाले साहित्यकारों में श्रवण कुमार गोस्वामी (स्वर्गीय), डॉक्टर दिनेश्वर प्रसाद (स्वर्गीय), श्रीमती रीता शुक्ला और डॉक्टर कामिल बुल्के (मरणोपरांत) आदि प्रमुख शामिल थे।
'रांची एक्सप्रेस' ने 'श्रद्धेय सीताराम मारू पत्रकारिता पुरस्कार' भी आरम्भ किया। हर वर्ष रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के दो छात्र-छात्राओं को यह पुरस्कार दिया जाता था। संपादक रहते मैंने वर्ष 1999 से 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ कई देशों की यात्रा की। जिसमें वेस्टइंडीज के त्रिनिदाद एवं टोबैगो, जमैका, मोरक्को, जर्मनी, अमेरिका, मलेशिया, मॉरीशस आदि देशों की यात्राएं शामिल हैं।
समय-समय पर हमने 'रांची एक्सप्रेस' की वर्षगांठ भी मनायीं। इसके 25 वर्ष पूरे होने पर 1988 में कार्यक्रम 'रांची क्लब' में सम्पन्न हुआ जिसमें 'नवभारत टाइम्स' के प्रधान संपादक राजेंद्र माथुर जी एवं 'इंडियन नेशन' के पूर्व संपादक दीनानाथ झा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके उद्गार भी 'सुनहरी यादें' में प्रस्तुत किए गए हैं।
'रांची एक्सप्रेस' की स्थापना के 40 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 2003 में 'रांची क्लब' में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत (अब दिवंगत) मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। कार्यक्रम में बिहार के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह (अब स्वर्गीय), झारखण्ड के तत्कालीन राज्यपाल श्रद्धेय वेद मारवाह, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा, झारखण्ड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इन्दर सिंह नामधारी, प्रदेश के मंत्रिगण, विधायकगण, राज्य के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं शहर के प्रबुद्धजन, पत्रकार बन्धु एवं हमारे बन्धुगण उपस्तिथ थे। इस कार्यक्रम में उपस्तिथ मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों के उद्गार 'सुनहरी यादों' में अंकित हैं।
वर्ष 2012 में 'रांची एक्सप्रेस' ने अपने 50 वर्ष पूरे किये। 'रांची एक्सप्रेस' के स्वर्ण वर्ष जयन्ती कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं फिल्म कलाकार श्री शत्रुघ्न सिन्हा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री यशवंत सिन्हा, तत्कालीन मुख़्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और वर्त्तमान विधायक श्री सी पी सिंह आदि शामिल हुए। 50 वर्ष पूरे होने पर 'कैपिटल हिल' में यह कार्यक्रम रखा गया। यह कार्यक्रम 25 दिसम्बर' 2012 को हुआ। अटल जी का जन्म 25 दिसंबर' 1924 को हुआ था और यह कार्यक्रम उन्हें समर्पित था।
14 से 18 दिसंबर' 2012 को 'रांची एक्सप्रेस' द्वारा खेल महोत्सव का आयोजन किया गया। झारखंड में किसी भी मीडिया संस्थान द्वारा खेलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसा आयोजन अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
2010 के दशक से समाचार-पत्र उद्योग बहुत ही कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा था। हमारे लिए भी इसका संचालन कठिन होता जा रहा था। बहुत ही भारी मन से हमने वर्ष 2016 में 'रांची एक्सप्रेस' का प्रकाशन दूसरों के हाथों में सौंप दिया और 53 वर्ष चलाने के बाद हमने समाचार-पत्र के प्रकाशन के उद्योग को अलविदा कह दिया।
हमने वर्ष 1997 में ‘एक्सप्रेस विजन प्राइवेट लिमिटेड’ के बैनर तले 'दृष्टि' नाम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की शुरुआत की जो दक्षिण बिहार का प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थान था। हमने अपना स्टूडियो बनाया जिसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन राज्यपाल श्रद्धेय सुंदर सिंह भंडारी जी (अब दिवंगत) ने किया। स्थानीय मुद्दों पर एवं दक्षिण बिहार के समाचारों को एकत्रित कर साप्ताहिक के रूप में आधे घंटे के समाचारों का वीडियो कैसेट बनाकर राज्य वासियों तक पहुंचाने का कार्य आरंभ किया। यह भी काफी समय तक चला जिसकी जिम्मेदारी इस क्षेत्र की पत्रकारिता की जानी मानी हस्ती किसलय, योगेश किसलय, ब्रजेश राय, मिताली दां एवं आशिया ने संभाली थी। यहाँ के नागरिकों में इसकी काफी लोकप्रियता थी।
झारखण्ड के समाचार-पत्र पाठक आज भी 'रांची एक्सप्रेस' की लोकप्रियता के लिए श्रद्धेय सीताराम मारु, उनके पुत्र विजय मारु, पवन मारु एवं मुझे एवं आरंभ से सम्पादक रहे श्री बलबीर दत्त जी को याद करते हैं।
झारखण्ड आंदोलन के दौरान 'रांची एक्सप्रेस' ने समाचार-प्रकाशन के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। झारखण्ड आंदोलन के सम्बन्ध में विचार करने के लिए होने वाली तमाम बैठकों के कवरेज को 'रांची एक्सप्रेस' में प्रमुखता से स्थान दिया जाता था।
राधाकृष्ण पुरस्कार समारोह के यादगार पल
इसके अलावा हमारे परिवार ने और भी उद्योग / व्यापार आरम्भ किये जिसमें 1988 में 'एक्सप्रेस शॉपिंग प्रा. लि.' प्रमुख था। पारिवारिक सदस्य एवं बड़े भाई विष्णु लोहिया, मित्रवर राम प्रसाद जालान एवं राकेश दोषी (स्वर्गीय ) के साथ मिलकर जी.ई.एल. चर्च कॉम्प्लेक्स में ‘EXPRESS SHOPPY’ (एक्सप्रेस शॉपी) नाम से अपनी तरह की पहली ग्रोसरी की दुकान आरम्भ की। जिसमें आप स्वंय अपनी पसंद के समान उठाकर काउंटर पर जाकर उसका भुगतान करते थे। आज तो यह आम हो गया है' पर उस समय यह अपनी तरह का एकमात्र ‘Pick & Pay’ की ग्रोसरी दुकान थी। पर 10 वर्ष के संचालन के बाद इस व्यापार को बंद कर दिया गया। आज के समय चर्च कॉम्प्लेक्स में Rangoli, Colour Plus और Big Shop जहाँ अपना व्यापर कर रहे हैं वहीँ 1988 में Express Shoppy का संचालन होता था।
1996 में हमारे परिवार ने मित्र विजय अडूकिया और संजय अडूकिया के साथ मिलकर महिलांग में 'एक्सप्रेस गोल्ड' के नाम से पावरोटी का एक आधुनिक संयंत्र आरम्भ कर इसे पूरे दक्षिण बिहार में वितरण करना आरम्भ किया। यह उद्योग आज भी पूरे झारखण्ड में अपने उत्पाद को वितरित कर रहा है। और उसका श्रेय 'एक्सप्रेस कॉन्फेक्शनर प्रा. लि.' के नए संचालक मेरे मित्र' ओम छावनिका और उनके पुत्र वैभव को जाता है जो वर्तमान में हैदराबाद में रह कर अपना उद्योग चला रहे हैं।
'एक्सप्रेस ग्रुप' की अन्य कंपनी के अंतर्गत 'डिजिटल प्रिंटिंग में हमने 'एक्सप्रेस विजन प्रा. लि.' आरम्भ की जिसे आज भी सफलता पूर्वक मनीष मारू संचालित कर रहें हैं। साथ-साथ मनीष 'एक्सप्रेस इन्फोटेक लि.' के नाम से इंटरनेट, वेबसाइट आदि का कार्य करते हैं।
'एक्सप्रेस रेसीडेंसी प्रा. लि.' के नाम से हमने रियल स्टेट के क्षेत्र में कदम रखा। जिसके दो प्रोजेक्ट अभी चल रहें हैं जिसमें एक को पुत्र राहुल मारू देख रहें हैं और दूसरे प्रोजेक्ट मेन रोड पर
'R. Ali's Grand Mall' है जो इस वर्ष आरम्भ होगा। यह ‘APJ Express’ के नाम से है जिसे अपने मित्र गुरविर सिंह के साथ किया जा रहा है।