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जीवनवृत्त

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जन्म : 29 अक्टूबर, 1958

जन्म स्थान : रांची

शिक्षा : मेरी प्रारंभिक शिक्षा संत जेवियर स्कूल, डोरंडा, केंद्रीय विद्यालय, डोरंडा एवं मारवाड़ी स्कूल से हुई है। 1975 में स्कूलिंग शिक्षा पूरी करने के बाद मैंने संत जेवियर्स कॉलेज एवं डोरंडा कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। डोरंडा कॉलेज से मैंने वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की।
विवाह : 7 फरवरी, 1984 में कोलकाता निवासी श्री विरेन्द्र कुमार मोहता की सुपुत्री कल्पना के साथ मेरा विवाह हुआ। मेरे दो पुत्र एवं एक पुत्री हैं।

प्रथम पुत्र राहुल का जन्म 14 जनवरी, 1985 को रांची में हुआ। द्वितीय पुत्र आदित्य का जन्म 27 जनवरी, 1988 को एवं राधिका का जन्म 1 दिसंबर, 1992 को हुआ। आज के दिन सभी बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर विवाह-उपरांत अपनी-अपनी रुचि के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

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मैं परिवार में अनुज होने के नाते सभी का प्रिय रहा हूं। बचपन में माता-पिता के साथ रांची से बाहर राजस्थान, दिल्ली, कोलकाता आदि स्थानों पर जाने का अवसर मिलता रहता था। कई बार अपने भाई-बहनों के साथ भी मुझे यह अवसर प्राप्त हुआ। हमारा परिवार सयुंक्त मध्यमवर्गीय परिवार था। मैंने अपने पिताश्री सीताराम जी मारू और चाचाश्री श्रीभगवान मारू जी को कड़ी मेहनत और कड़ी चुनौतियों का सामना करते देखा है। 1971 में, परिवार बड़ा होने के साथ ही मेरे पिताजी एवं चाचाजी ने सम्मानजनक बंटवारा किया तथा उसी घर में अलग-अलग रहने लगे और आज भी हमारा और चाचाजी के पुत्रों का घर अपर बाजार के बड़ालाल स्ट्रीट में अगल-बगल में है।

आरंभ से अपने वरिष्ठजनों को व्यापार के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि रखते देखा। मैंने भी वर्ष 1972 में अपने परिवार के प्रिंटिंग व्यवसाय में पढ़ाई से समय निकाल कर हिस्सा लेना आरंभ कर दिया। साथ-साथ अपर बाजार के अपने मित्रों के साथ 1972-73 में श्री श्याम मित्र मंडल की स्थापना की एवं प्रत्येक एकादशी को सुरेश बाबू स्ट्रीट में बुधिया परिवार के जडिया देवी बुधिया ट्रस्ट द्रारा निर्मित सत्संग भवन में कीर्तन में शामिल होता रहा। उस वक्त के मित्रों में विश्वनाथ नारसरिया, हरि प्रसाद पेड़ीवाल, अरुण मोदी, अमित मोदी एवं प्रकाश शाह आदि को भुलाया नहीं जा सकता।

पहली बार अपनी 11वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1975-76 में मैं और मेरे मित्र हरिप्रसाद पेड़ीवाल, अरुण मोदी और प्रकाश शाह रेल से कश्मीर की यात्रा पर गये। उस वक्त देश में आपातकाल लगा ही था। उस वक्त का समय आज जैसा नहीं था। खर्च और यात्रा दोनों सोच-समझ कर करना पड़ता था तथा बाहर जाने के बाद घर वालों से बात ट्रंक कॉल से की जाती थी जिसके लिए होटल के रिसेप्शन या पोस्ट ऑफिस में घंटों बैठना पड़ता था।

1975 में मैंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लिया। व्यवसाय के साथ-साथ मैंने उच्च शिक्षा भी 1979 में पूरी की। 1977 में देश में आपातकाल समाप्त होने के बाद केंद्र में और हमारे प्रदेश अविभाजित बिहार में भी जनता पार्टी की सरकार बनी और पिताजी के कई मित्र दोनों सरकारों में मंत्री बन गए। उसी क्रम में 1978 विदेश मंत्री के नाते श्रद्धेय अटल जी हमारे आवास और प्रतिष्ठान में आए। उसी वक्त प्रदेश के मंत्री श्री कैलाशपति मिश्र जी और प्रदेश के अन्य नेताओं का हमारे आवास पर आना जाना रहता था। केंद्रीय राजयमंत्री श्री रामकृपाल सिन्हा जी के साथ पिताश्री तथा मैंने बोकारो से कोलकाता की पहली बार हवाई यात्रा की थी।

व्यवसाय में पूर्ण रूप से 1979 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद आ गया था। साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं के साथ राजनीति में भी रूचि रखना आरंभ किया। 1977 के आम चुनाव में रांची से जनता पार्टी के उम्मीदवार श्री रविंद्र वर्मा जी के प्रचार में लगा जो विजयी होकर मोरारजी भाई की सरकार में वे श्रम मंत्री भी बने थे। उसी दौरान हमारे प्रकाशक समूह ने साप्ताहिक 'जय मातृभूमि' आरंभ किया। जिसका उद्घाटन पटना में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के द्वारा उनके ही आवास पर हुआ। मैं भी पिताश्री के साथ पटना गया था और उसी कार्यक्रम में श्रद्धेय नानाजी देशमुख जी और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कर्पूरी ठाकुर जी से मिलने का अवसर मिला।

1981 में श्रद्धेय नानाजी देशमुख ने पिताश्री से अनुरोध करते हुए पूज्या राजमाता सिंधिया जी के द्वारा ली गई 'सूर्या' पत्रिका का संचालन करने के लिए विजय भैया को दिल्ली बुला लिया। उनके जाने के बाद रांची में प्रकाशन समूह का काम भ्राता पवन एवं मेरे ऊपर आ गया।

1984 में कल्पना के साथ मेरा विवाह हुआ। तथा साथ-साथ हमारे प्रतिष्ठान 'रांची प्रकाशन प्रा. लि.' में मैं वित्त निदेशक बना। उस वक्त दक्षिण बिहार में दैनिक 'रांची एक्सप्रेस' सबसे लोकप्रिय एवं सबसे अधिक प्रसारित दैनिक अखबार था। इस अख़बार को सबसे सुसंपादित दैनिक पत्र माना जाता था। प्रकाशन समूह के कार्य के अलावा मैंने अन्य व्यवसाय भी शुरू किया और उन्हें चलाने का प्रयास किया, पर उनमें ज्यादा सफलता नहीं मिली।

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रामकथा के दौरान आरती करते हुए।

1990 में अपने परम मित्र गुलशन अजमानी को जब हम सब के प्रयास से रांची विधानसभा के लिए भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया तो सबों ने मिलकर उसे विजयी बनाया। उस वक्त चुनाव परिणाम आने में काफी समय लगता था। मतगणना स्थल पंडरा में हम सब परिणाम का इंतजार कर रहे थे। गुलशन विजयी हुआ और विजय जुलूस पंडरा से आरम्भ करके रातू रोड, महावीर चौक, शहीद चौक, फिरायालाल चौक पहुंचे और वहां एक विशाल जनसभा हुई। उसी शाम रांची विधानसभा से गुलशन और हटिया विधानसभा से रामजी लाल शारदा जी के विजय होने के उपलक्ष्य में हमारे आवास पर रात्रि भोज रखा गया जिसमें समाज के प्रबुद्धजन और राजनेताओं ने भाग लिया, जिसमें माननीय श्याम जी गुप्त, रांची के उपायुक्त सजल चक्रवर्ती, बलबीर दत्त जी, बृज किशोर झंवर, बिनोद पोद्दार उपस्थित थे। 1990 से रांची विधानसभा की सीट भाजपा के पास है। 1990 में गुलशन, उसके बाद 1995 में माननीय यशवन्त सिन्हा जी और 1996 से आज तक चंद्रेश्वर जी भाजपा से रांची के विधायक रहें। और उसी वक्त से मेरा राजनीति में लगाव बढ़ा।

दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय रांची का माहौल भी याद है। कई गिरफ्तारियां हुई।

1995 में श्री श्याम मित्र मण्डल द्वारा राष्ट्रसंत मोरारी बापू की कथा के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाई। पिताश्री समारोह के मुख्य संरक्षक थे। भ्राता पवन मुख्य संयोजक थे।

1996 में मेरे भ्राता पवन जब व्यापार के लिए परिवार के साथ बेंगलुरु गये तो वो क्षण मेरे लिए बहुत भावुक था। उसके जाने के बाद 1996 में मुझे 'रांची एक्सप्रेस' के संपादक का दायित्व दिया गया तथा उसी वर्ष मुझे 'वनांचल भाजपा' का प्रदेश कोषाध्यक्ष भी बनाया गया।
संपादक के नाते 1999 से 2001 के बीच देश के प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटलजी के साथ उनके विदेश दौरों में जाने का अवसर मिला। 2001 में पूर्वी भारत के सबसे पुराने क्लब 'रांची क्लब' का अध्यक्ष बना। 2001 में ही मुझे वित्त मंत्रालय द्वारा 'ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स' का निदेशक 3 वर्षों के लिए बनाया गया।

वर्ष 2002 में झारखंड बनने के बाद पहली बार हुए राज्यसभा के द्विवर्षीय चुनाव में मुझे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जिसमें प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटलजी, गृह मंत्री श्री लालकृष्णा आडवाणी जी, वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा जी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेना कृष्णमूर्ति जी और पूर्व अध्यक्ष श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी ने मुझे उम्मीदवार बनाकर राज्यसभा में 6 वर्षों के लिए भेजा। उम्मीदवार बनने के बाद मैंने ओरिएंटल बैंक के निदेशक पद से इस्तीफा दिया और राज्यसभा चुनाव में विजयी होकर 10 अप्रैल 2002 को राज्यसभा के सदन में सभापति के समक्ष शपथ ली। मेरा कार्यकाल 9 अप्रैल 2008 को समाप्त हुआ।

मैंने अक्टूबर 2008 को अपने जीवन के 50 वर्ष पूरे किए। उस लमहे को यादगार बनाने पर 'रांची जिमखाना क्लब' में एक आयोजन परिवारजनों ने रखा जिसमें परिवारजन, मित्रगण एवं विशेष तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद श्री यशवंत सिन्हा, उस वक्त के केंद्रीय मंत्री एवं रांची के सांसद श्री सुबोध कांत सहाय, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व सांसद श्री रामटहल चौधरी एवं स्वयं अपना हेलीकॉप्टर उड़ा कर भुवनेश्वर से बीजू जनता दल के सांसद एवं मेरे मित्र श्री जय पाण्डा अपनी पत्नी के साथ आए। उसी अवसर पर मैंने अपने डाक-टिकटों की प्रदर्शनी भी लगाई थी। उस आयोजन की कुछ यादगार पल नीचे हैं।

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वर्ष 2008 से ही मेरे द्वारा कांके रोड के बसंत बिहार में लिए गए एक बने बनाये भवन को अपनी आवश्यकतानुसार बनाने का कार्य आरम्भ किया और अपने नवीन घर में 6 जून, 2010 को प्रवेश किया। 2010 से मैंने फिर से भवन निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा जो अभी तक चल रहा है। 2016 में हमने 'रांची एक्सप्रेस' का संचालन दूसरे हाथों में दे दिया।
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प्रथम पुत्र

ज्येष्ठ पुत्र राहुल ने आरंभिक शिक्षा दिल्ली एवं रांची से पूरी की। सेल्स एवं मार्केटिंग में एमबीए की पढ़ाई पूरी की। राहुल का विवाह 27 नवंबर 2011 को हैदराबाद निवासी विनोद जी मालपानी की सुपुत्री प्रियंका के साथ सम्पन्न हुआ। प्रियंका ने अपनी शिक्षा हैदराबाद में पूरी की। राहुल-प्रियंका की एक सुपुत्री रेया एवं पुत्र रूद्र है। राहुल अपने व्यवसाय को चलाते हुए पिछले दस वर्षों से झारखण्ड चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज में अपनी भूमिका निभा रहा है और वर्तमान में चैम्बर के महासचिव के पद पर है। राहुल नागरमल मोदी सेवा सदन में भी अपनी सेवा दे रहा है।


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द्वितीय पुत्र

द्वित्तीय पुत्र आदित्य 2001 में रांची के संत जेवियर स्कूल में कुछ साल तक पढ़ाई करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कोयंबटूर की चिन्मय इंटरनेशनल स्कूल चला गया और अपनी स्कूली शिक्षा वहीँ से पूरी की। आदित्य ने दिल्ली में उच्च शिक्षा प्राप्त की। साथ साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई पूरी की। मई 2015 में आदित्य का विवाह जयपुर निवासी श्री प्रभुदास बांगड़ की सुपुत्री अपूर्वा के साथ सम्पन्न हुआ। हम सपरिवार एवं रिश्तेदार बारात लेकर जयपुर गए। आदित्य - अपूर्वा की एक पुत्री अमायरा है। आदित्य वर्तमान में पत्नी एवं बच्ची के साथ गुरुग्राम में रहते हैं। आदित्य अर्न्स्ट एन्ड यंग ग्लोबल लिमिटेड में कार्यरत हैं।




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पुत्री

सबसे प्यारी और दुलारी बिटिया राधिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रांची के प्रसिद्ध लोरेटो कान्वेंट, दिल्ली के कान्वेंट ऑफ़ जीसस एन्ड मेरी और रांची के डीपीएस से पूरी की। राधिका ने Amity University, Noida से एलएलबी ऑनर्स (प्रतिष्ठा ) की पढाई पूरी की। विधि की पढाई पूरी करने के बाद राधिका कुछ दिनों तक एडवोकेट राहुल साबू के साथ झारखण्ड उच्च न्यायालय जाती रही। मई 2019 में राधिका का विवाह पुणे निवासी श्री नन्द किशोर जी चाण्डक के पुत्र श्रीराम के साथ लोनावाला में सम्पन हुआ।


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विदेश यात्रा : थाइलैंड, सिंगापुर, हांगकांग, जमाईका, त्रिनिडाड एंड टोबागो, मोरोक्को, फ्रांस, मलेशिया, अमेरिका, मारीशस, सेसल्स, श्रीलंका, नेपाल, कजाकिस्तान, ग्रीस, ओमान, दुबई आदि देशों की यात्रा की।


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