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सामाजिक

समाज सेवा का जज्बा मेरे परिवार में शुरू से ही रहा। पारिवारिक परिवेश ने मुझे भी समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। समाज के लिए कार्य करने की मेरी दिलचस्पी बचपन से रही और जो भी सामाजिक कार्य कर रहा हूं उसका श्रेय अपने पिताश्री को देता हूं। वैसे तो मैं कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ा रहा, पर इनमें प्रमुख है :

श्री श्याम मित्र मंडल

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14-15 की आयु में बड़े भाई पवन, मित्रवर विश्वनाथ नारसरिया, हरी पेड़ीवाल, आनन्द जोशी, अरुण मोदी एवं अन्य के साथ श्री श्याम मित्र मण्डल का संस्थापक सदस्य बना और आरम्भ के कई वर्षों तक इस संस्था के कोषाध्यक्ष का दायित्व निभाया। इस संस्था के द्वारा 1995 में जिला स्कूल के प्रांगण में परम आदरणीय मोरारी बापू की श्रीरामकथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया गया जिसमें अन्य सदस्यों के साथ-साथ मुझे भी आयोजन समिति ने महत्वपूर्ण कार्य सौंपे। उस वक्त हर वर्ष रामनवमी पर श्री श्याम मित्र मण्डल की तरफ से स्टाल लगा कर पेयजल और देशी चने का वितरण करना तथा रथयात्रा मेलों में संस्था की तरफ से स्टाल लगाने का कार्य कई वर्षों तक किया।

श्री श्याम मित्र मण्डल की स्थापना के बाद से ही खाटू के श्याम बाबा का प्रत्येक एकादशी को सुरेश बाबू स्ट्रीट में बुधिया जी के द्वारा दिए गए एक कीर्तन भवन में रात्रि 10 बजे से प्रातः 4 बजे तक भजन का आयोजन ज्योत के साथ आरम्भ होता था। यह काफी समय तक चला और प्रत्येक एकादशी को इसमें सम्मिलित होता था। समय-समय पर इस तरह का आयोजन क्रमवार रूप से सदस्यों के आवास पर भी होते थे और हमारे अपर बाजार और कांके रोड निवास पर भी यह आयोजन सम्पन्न हुआ।

धीरे-धीरे एकादशी पर कीर्तन के समय में कमी हुई और यह मध्यरात्रि तक सीमित रहा और आज भी यह बिना रुके अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में अपने भवन श्री श्याम मंदिर, हरमू रोड पर और भी कई धार्मिक कार्यक्रमों के साथ सदस्यों के सहयोग से चल रहा है।

खाटू वाले श्री श्याम प्रभु के हरमू रोड स्थित मंदिर, जिसका निर्माण हुए 6 वर्ष हो गए हैं, आज देश के प्रमुख खाटू वाले श्री श्याम मंदिरों में प्रमुख है। इसके निर्माण में कई दाताओं ने सहयोग दिया जिनमें सबसे प्रमुख भूमिका श्री श्याम भक्त राजीव मित्तल, सुरेश सरावगी, विश्वनाथ नारसरिया, हरिप्रसाद पेड़ीवाल आदि की थी। इसके निर्माण में संस्था के सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार सहयोग दिया और झारखण्ड समाज के प्रबुद्धजनों ने भी इस मंदिर के निर्माण में अपना सहयोग दिया।

श्री श्याम मित्र मण्डल एक पंजीकृत सामाजिक संस्था है। वर्ष 2022 के अध्यक्ष श्री सुरेश सरावगी और मानद सचिव श्री विश्वनाथ नारसरिया ने संस्था के स्वर्ण जयंती वर्ष में संस्था के सदस्यों को साथ लेकर पुराने सदस्यों को पुनः सक्रिय करने का एक अभियान आरम्भ किया और उसी अभियान में मुझे भी श्री श्याम मंदिर में अपनी सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

संस्था अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रत्येक शनिवार को 1500 से 2000 श्रद्धालुओं को संध्या 5 बजे से 8 तक विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को प्रसाद के रूप में श्री श्याम भण्डारा का आयोजन कर वितरित करती है। मुझे प्रत्येक शनिवार को इस सेवा कार्य में अपनी सहभागिता करते हुए हर्ष की अनुभूति होती है जिसमें मेरी पत्नी कल्पना तथा परिवार के अन्य सदस्य भी सम्मिलित होते हैं।




रांची कल्ब

पूर्वी भारत के पुराने क्लबों में प्रमुख रांची क्लब, जिसकी स्थापना 1886 में हुई थी, में मेरे पिता 1964 से एवं मेरे बड़े भाई विजय भैया और पवन रांची क्लब के सदस्य रहे और मैं इस क्लब का सदस्य 1982 में बना। मात्र 4 वर्ष बाद 1986 में श्री बृज किशोर झंवर जी के साथ क्लब कार्यकारिणी के चुनाव जीत कर 28 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र का निदेशक बना और वे इस संस्था के अध्यक्ष। श्री झंवर के नेतृत्व में उस वर्ष क्लब के विकास के बहुत कार्य हुए। उसी वर्ष क्लब की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर एक भव्य कार्यक्रम हुआ जिसमें मैंने अपनी प्रमुख भूमिका निभायी।

उसके बाद भी वर्ष 2001 तक कई वर्ष क्लब का निदेशक रहा। वर्ष 2001 में मैं पहली बार सत्र 2001-02 और 2002-03 में और उसके बाद सत्र 2004-05 से वर्ष 2008-09 तक क्लब का अध्यक्ष रहा।

प्रथम वर्ष 2001-02 से ही क्लब के विकास में उल्लेखनीय कार्य किये। इसी वर्ष रिकॉर्ड समय पर मित्र छवि विरमानी के सहयोग से Multipurpose Hall का निर्माण कराया, जो आज क्लब की आय का प्रमुख साधन बना और रांची शहर के लोगों को अपने कार्यक्रम करने का प्रमुख स्थल है।

क्लब की सदस्यता को लेकर वर्ष 2007 में किये गए बदलाव तथा पहली बार महिलाओं और सदस्य की बेटियों को भी सदस्यता देने का एक महत्वपूर्ण निर्णय क्लब के सदस्यों की विशेष बैठक में प्रस्ताव लाकर पारित करवाया। इसी बैठक में नए सदस्यों को लेने के लिए Screening Committee का गठन का प्रस्ताव भी पारित हुआ। मेरे कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के फलस्वरूप आज के समय में क्लब की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हुई है।
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पिछले कुछ वर्षों से Master Plan Sub -Committee का अध्यक्ष हूं और क्लब के अगले 25 वर्षों के Road Map पर कार्य कर रहा हूं। मैंने 2001-02 में डॉ. राजेश खन्ना से अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी ली और मुझे क्लब के सभी सदस्यों का हमेशा सहयोग मिलता रहा। मेरे अध्यक्षीय कार्यकाल समाप्त होने के बाद इस दायित्व को मेरे मित्र सर्वश्री सत्येंद्र चोपड़ा, सुनील वर्मा, अजय छाबड़ा, छोटे भाई संदीप मोदी, संदीप कपूर और राजेश शहदेव ने निभाया।

रांची क्लब में समय-समय पर रांची रोज सोसाइटी के सयुंक्त तत्वाधान में रोज शो का आयोजन भी होता आ रहा है जिसमें रांची क्लब के पूर्व अध्यक्ष श्री गोपाल साहू का महत्वपूर्ण योगदान रहता था। इस आयोजन से रांची में गुलाबों की लोकप्रियता काफी बढ़ी और रांची में गुलाब के शौक़ीन कई लोगों ने गुलाब की खेती करनी शुरू कर दी।

मैंने अपने कार्यकाल में झारखण्ड के युवराज एम. एस. धौनी को क्लब के मानद सदस्य के रूप में सदस्यता दी।

रांची जिमखाना कल्ब

1987 में श्री बृज किशोर झांवर (लाली बाबू ), श्री सुशील लोहिया, श्री विनोद पोद्दार और अन्य के साथ हमने 'रांची जिमखाना क्लब' की स्थापना की। इसके लिए ऊषा मार्टिन लि. के दीपाटोली के एक बड़े भूखण्ड में इसका निर्माण आरम्भ किया गया। हमने 200 संस्थापक सदस्य बनाये। 29 वर्ष की अल्पायु में क्लब की प्रबंधन समिति का सदस्य बनना मेरे लिए गौरव की बात थी और लगातार 14 वर्षों मैं तक समिति सदस्य रहा। क्लब का नया भवन दीपाटोली में वर्ष 1991 में बन कर तैयार हो गया।

1987 से 1991 तक क्लब निर्माण के समय मैंने अपनी प्रमुख भूमिका निभाई। साथ-साथ नए सदस्यों के चयन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन 14 वर्षों में प्रोग्राम कमिटी का प्रमुख होने के कारण सदस्यों के लिए समय-समय पर बहुत कार्यक्रम आयोजित किये, जिनमें दशहरा पर रावण दहन, दीपावली मिलन, होली मिलन, नववर्ष की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम एवं दिल्ली हाट की तर्ज पर हमारे ग्रामीण परिवेश और वेषभूषा के कार्यक्रम प्रमुख थे। सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम जिमखाना क्लब के सदस्य श्री अजित कोठारी जी के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर का फैशन शो का कार्यक्रम था जो वर्ष 1993 में हुआ था जिसमें देश की प्रख्यात 15 से अधिक मॉडल आयी थीं।

आज भी रांची जिमखाना क्लब को पूर्वी भारत के सबसे बेहतरीन क्लब के रूप में मान्यता प्राप्त है।

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संस्कृति विहार
संस्कृति विहार अविभाजित बिहार से ही दक्षिण बिहार की एक प्रमुख सामाजिक संस्था रही है। पिताश्री को प्रमुख समाजसेवी गंगा प्रसाद जी बुधिया जी ने 1986 में इस संस्था की कमान सौंपी। जिसका विस्तृत विवरण पिताश्री की जीवनी में दिया गया है। 6 दिसंबर, 2003 को पिताश्री के स्वर्गवास के पश्चात जनवरी, 2004 में मुझे इस संस्था का अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। संस्कृति विहार उस वक्त तक झारखंड की एक प्रमुख सामाजिक संस्था हो गयी थी। संस्था पांचपरगना के क्षेत्र (बुंडू , तमाड़ और सोनाहातू ) को अपना कार्यक्षेत्र बनाया था जो मूलतः शिक्षा, चिकित्सा और आध्यत्म के क्षेत्र में कार्य कर रही थी जो अब तक जारी है।

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शिक्षा : संस्कृति विहार पांच परगना क्षेत्र में कई विद्यालयों का संचालन करती है जिसमें 4000 से ज्यादा भैया-बहन हमारे संस्कार और संस्कृति के अनुसार शिक्षा ग्रहण करते हैं। प्रधाननगर स्थित सूर्य उपासना भवन से एक छात्रावास का भी संचालन होता है। हम अपने सभी प्रकल्पों के माध्यम से वर्ष प्रतिपदा, रक्षा बंधन, स्वामी विवेकानन्द जयंती, गुरु गोविन्द सिंह जयंती, महावीर जयंती, सुभाष जयंती, शिवाजी जयंती, भगवान बिरसा मुंडा जयंती, तुलसी जयंती का आयोजन कर अपने भैया-बहनों को प्रखर राष्ट्रवाद का प्रकटीकरण कराना चाहते है। इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष 21 जून को योग दिवस के रुप में, रक्षा बन्धन राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में 15 अगस्त राष्ट्रीय अखंडता दिवस के रूप में तथा 26 जनवरी स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन अवसरों पर गीत, बौद्धिक एवं खेलकूद आदि प्रतियोगिताएं होती है।
यहां के अधिकांश छात्र-छात्राएं झारखण्ड बोर्ड की परीक्षाओं में प्रथम और द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होते रहे हैं। सूर्य उपासना भवन प्रधाननगर परिसर स्थित विद्यालय में कुछ वर्ष पूर्व झारखण्ड बोर्ड की परीक्षा में सभी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए थे। झारखण्ड शिक्षा विभाग ने इस उपलब्धि के लिए संस्था को पुरस्कृत भी किया था। इस पूरी शिक्षा व्यवस्था को चलाने में संस्था के सदस्य, आचार्यों का बहुत सहयोग रहा है। हम सरकार से किसी भी प्रकार का वित्तीय सहयोग नहीं लेते।

चिकित्सा : संस्था द्वारा तमाड़ के निकट अपने भवन में आंखों का आपरेशन और चिकित्सा होती थी जिसमें कैंप लगाकर रांची से चिकित्सक जाकर निःशुल्क इलाज करते थे। इस कार्य के लिए संस्था ने श्री सीताराम लक्ष्मीनारायण जाजोदिया नेत्र चिकित्सालय आरम्भ किया था। इसके अलावा कुष्ठ रोगों के निदान, चर्म रोग आदि के उपचार के लिए श्री रामकुमार रूंगटा कुष्ठ निवारण केन्द्र की स्थापना की।

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अध्यात्म केन्द्र : रांची से 39 किलोमीटर की दूरी पर रांची-टाटा राष्ट्रीय उच्च पथ पर बुंडू के निकट स्थित 108 फुट ऊँचा, 225 फुट लम्बा तथा 60 फुट चौड़ा यह सूर्य मंदिर भारत के विशालतम सूर्य मंदिरों में से एक है। संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण 18 पहियों और सात घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गया है।

इसका शिलान्यास 24 अक्टूबर 1991 को ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य पूज्य बासुदेवानन्द जी के कर-कमलों से तथा प्राण प्रतिष्ठा अंतराष्ट्रीय ख्याति के संत स्वामी वामदेवजी महाराज के सान्निध्य में 10 जुलाई 1994 को सम्पन्न हुई। सूर्य-मंदिर-सह-उपासना भवन का संचालन सम्पूर्ण क्षेत्र में आध्यात्मिक वातावरण के साथ-साथ शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय जागरण की भावना उत्पन्न करने के लक्ष्य से प्रेरित है।

सांस्कृति विहार के अध्यक्ष रहे श्रद्धेय सीतारामजी मारू की प्रेरणा से निर्मित इस सूर्य उपासना भवन को केन्द्र बनाकर निकटवर्ती उपेक्षित एवं वनवासी ग्रामों का सर्वांगीण विकास करना संगठन का ध्येय है। गत वर्षों में इस केन्द्र से लाखों व्यक्ति आध्यात्मिक व राष्ट्रीय चेतना से ओत -प्रोत हुए हैं। प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को टुसु के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों व्यक्ति भुवन भास्कर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इन सब कार्यों को सुचारु रूप से श्री प्रमोद जी संस्था के अन्य सहयोगियों के साथ सफलता पूर्वक संचालित कर रहे हैं। इन सभी कार्यों में संस्था को बुंडू के प्रबुद्धजनों का भी सहयोग मिलता है।

संस्था ने 11 अक्तूबर 2007 को सूर्य उपासना भवन के प्रांगण में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें संस्था के प्रवर्तक श्रद्धेय सीताराम मारु की प्रतिमा का अनावरण श्री यशवन्त सिन्हा जी
ने किया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक परम आदरणीय के.सी. सुदर्शन जी भी पधारे थे और हज़ारों की संख्या में आस-पास के निवासी और अतिथियों को संबोधित किया। कार्यक्रम में श्री कैलाशपति मिश्र आदि महानुभावों ने भी अपना आशीर्वाद दिया।

कोरोना की प्रथम लहर के दौरान संस्था के प्रमुख सदस्य श्री वासुदेव भाला और श्री राजकुमार मारु की देखरेख में 6 महीनों तक बाहरी रंग-रोगन का कार्य किया गया। अब वर्ष 2022 में पुनः हमने सूर्य उपासना भवन के अंदर के रंग-रोगन का कार्य आरंभ किया है जिसमें श्री भाला और श्री मारू के आलावा श्री भगवान दास काबरा समय-समय पर जाकर कार्य को अन्जाम दे रहें हैं।

स्मरण रहे कि सूर्य उपासना भवन का निर्माण जिस स्थान पर किया गया है वह एदलहातु गांव के मुखिया माननीय प्रधान सिंह मुण्डा के द्वारा दी गई जमीन पर हुआ है। इस परिसर का नाम प्रधान सिंह मुण्डा नगर पड़ा है तथा उनके निधन के बाद उनके पुत्र श्री चण्डी कुमार सिंह मुण्डा और श्री राम दुर्लभ सिंह मुण्डा अपना पूरा सहयोग संस्था को देते रहते हैं।

नागरमल मोदी सेवा सदन (200 बिस्तरों वाला अस्पताल)

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1958 में स्थापित नागरमल मोदी सेवा सदन झारखण्ड का एक प्रमुख चेरिटेबल अस्पताल है। इस संस्था से मेरा भावनात्मक लगाव भी है, क्योंकि इसकी स्थापना में पिताश्री का महत्वपूर्ण योगदान था और वह इस संस्था के संस्थापक मानद सचिव भी थे। मैं इस संस्था का सदस्य वर्ष 2005-06 में बना। वर्ष 2009 में मुझे इस संस्था का सत्र 2009 -12 के लिए अध्यक्ष होने का सौभाग्य मिला। पुनः 2012-15 सत्र के लिए भी मैं अध्यक्ष रहा।

मेरे अपने 6 वर्ष के कार्यकाल में अस्पताल के कई विभागों का नवीनीकरण तथा प्रशासनिक भवन का निर्माण और कई अन्य प्रशासनिक सुधार किये गए। झारखण्ड की राजधानी रांची में रिम्स और सदर अस्पताल के बाद गरीबों और मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के मरीजों की सेवा के लिए सेवा सदन प्रमुख अस्पताल है जहां 50 चिकित्सक, 350 कर्मचारियों के अलावा मारवाड़ी समाज के प्रबुद्धजन स्वेच्छा से अपनी सेवा तन, मन और धन से दे रहे हैं।

मेरे लिए समाज की इस प्रतिष्ठित संस्था का दायित्व उठाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। मेरे अध्यक्षीय कार्यकाल में मेरे बड़े भाई विष्णु लोहिया जी ने मानद सचिव का दायित्व निभाया और सत्र 2015-18 के लिए श्री विष्णु लोहिया जी एवं सत्र 2018-21 के लिए श्री राजेन्द्र सरावगी जी संस्था के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। संस्था को ऊंचाइयों तक ले जाने में पूर्व अध्यक्षों विशेषकर सर्वश्री कृष्ण कुमार पोद्दार, चतुर्भुज खेमका , जुगल किशोर जी मारू, राज कुमार जी केडिया, मानद सचिव श्री हनुमान प्रसाद जी सरावगी एवं श्री सांवरमल जालान, श्री राम रतन सर्राफ आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
सत्र 2015-18, 2018-21 और 2021-24 के लिए सेवा सदन अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के चेयरमैन का दायित्व निभा रहा हूं तथा सत्र 2021-24 के अध्यक्ष श्री अरुण छावछड़िया एवं मानद सचिव श्री आशीष मोदी अपनी टीम के साथ बहुत ही ततपरता के साथ कार्य कर रहें हैं जिसमें श्री पुनीत पोद्दार, श्रीमती रेखा जैन, श्री अरुण खेमका, श्री वेद बागला, श्री पवन शर्मा एवं श्री विजय शंकर साबू शामिल हैं।

देश में कोविड-19 की प्रथम और द्वितीय लहर के दौरान सेवा सदन ने न्यूनतम शुल्क पर सैकड़ों मरीजों का उपचार कर काफी लोकप्रियता हासिल की। इस कार्य में सेवा सदन प्रबंधन के अलावा डॉ. सुनील रूंगटा, डॉ. विनय धनधानिया, डॉ. प्रवीण नारसरिया एवं अन्य चिकित्सकों का प्रमुख योगदान रहा।


श्री कृष्ण जन्मोंत्सव समिति

जुलाई, 2012 में विधानसभा अध्यक्ष एवं रांची के विधायक श्री चंद्रेश्वर सिंह के आवास पर मैं, संजय सेठ और चन्द्रेश्वर जी मिले और चर्चा करने के बाद महाराष्ट्र की तर्ज पर श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की पर झारखण्ड में पहली बार रांची के फिरायालाल चौक पर दही-हांडी का कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया। हमने चर्चा के दौरान एक कमिटी का भी गठन कर शहर के प्रबुद्धजनों एवं प्रमुख संस्थानों को इससे जोड़ा।

प्रथम बैठक के बाद सभी की सहमति पहली दही-हांड़ी प्रतियोगिता 10 अगस्त, 2012 को करने का निर्णय लिया जिसमें 7 टीमों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में शहर की सामाजिक संस्था मारवाड़ी सहायक समिति, मारवाड़ी युवा मंच, पंजाबी हिन्दू बिरादरी, नागरमल मोदी सेवा सदन, मेन रोड दुकानदार संघ, माहेश्वरी सभा, अग्रवाल सभा, गुरुसिंह सभा और झारखण्ड चैम्बर ने भी अपना पूरा योगदान दिया। प्रथम पुरस्कार 31000 /- से आरम्भ किया गया था जो वर्ष 2019 में 71000 रुपया तक पहुंच गया।

वर्ष 2012 से 2019 तक यह कार्यक्रम बहुत धूमधाम से सम्पन्न होता रहा और प्रतिभागी टीमों की संख्या भी बढ़ गई, मगर कोविड की वजह से वर्ष 2020 एवं 2021 में यह कार्यक्रम नहीं हो पाया। इस कार्यक्रम से श्री मुकेश काबरा, श्री छवि विरमानी, श्री संजीव विजयवर्गीय, श्री अरुण छावछाड़िया, श्री चन्द्रकान्त रायपत आदि प्रबुद्धजन भी जुड़े और अपना सहयोग दिया।
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