मेरे पिता श्रद्धेय सीताराम मारू जी की छत्र-छाया का प्रभाव है कि मैं आज सामाजिक-कार्यों और राजनीति में एक मुकाम हासिल कर पाया हूं। पिता श्रद्धेय सीताराम मारू जी दक्षिण बिहार के प्रमुख सामाजिक सेवक रहे हैं। उनके परम आदरणीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी, राजमाता विजया राजे सिंधिया, नानाजी देशमुख, अश्विनी कुमार एवं कैलाशपति मिश्र जैसे कद्दावर नेताओं के साथ आत्मीय संबंध रहे हैं। इन महानुभावों का जब भी रांची प्रवास होता, वे हमारे आवास पर ही रुकते थे। ये सभी माननीय भारतीय जनसंघ के समय से बचपन से ही मेरे अभिभावक, गुरु और मार्गदर्शक रहे हैं। इन सभी महानुभावों का स्नेह एवं मार्गदर्शन का प्रसाद पाकर राजनीति में मैं दो-चार कदम बढ़ा पाया हूं।
हमारे बड़ालाल स्ट्रीट स्थित आवास के पास लेक रोड के पार्क में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रोज शाखा लगती थी। इसमें मैं अपने बड़े भाई पवन के साथ जाता रहता था। बचपन में भारतीय जनसंघ के चुनावों के दौरान प्रचार सामग्री और वोटर पर्ची हमारे प्रिंटिंग प्रेस में ही मुद्रित होती थीं तथा हमारे आवास में बैठकर पर्ची लिखने का और उन्हें वितरित करने का कार्य कार्यकर्तागण आकर करते थे।
1978 में माननीय अटल जी के साथ हमारे आवास-सह-प्रिंटिंग प्रेस में
1975 में आपातकाल लगने के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में मैंने दिलचस्पी लेनी आरंभ की। उस वक्त रांची लोकसभा के लिए जनता पार्टी से समाजवादी नेता श्री रवींद्र वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया था और हम सब उनके प्रचार में लगे और वह विजयी होकर माननीय मोरारजी भाई की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी बने।
कुछ वक्त बाद बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ और रांची विधानसभा से जनता पार्टी के उम्मीदवार श्री ननी गोपाल मित्रा एवं हटिया विधानसभा से श्री सुबोधकांत सहाय विजय हुए थे। जनता पार्टी की सरकार केंद्र में और प्रदेश में भी बनी और पिताजी के कई साथी इन सरकारों में मंत्री बने। 1980 में जनता पार्टी से भारतीय जनसंघ अलग हो गया और श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और राजनीति में मेरी थोड़ी और सक्रियता बढ़ी।
1984 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद रांची में भी सिखों पर हुए अत्याचारों को भी देखा और उसके बाद श्री राजीव गांधी जी की सरकार भी देखी।
1990 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए और उस वक्त श्री अश्विनी चाचा जी के प्रयास से मित्रवर गुलशन अजमानी को रांची विधानसभा से भाजपा का टिकट मिला और हम सबों ने मिलकर उन्हें विजयी बनाया। उसी वक्त हटिया विधानसभा से श्री रामजी लाल सारडा विजयी हुए।
माननीय कुशाभाऊ ठाकरे, बाबूलाल मरांडी एवं प्रो. दुखः भगत हमारे आवास पर
उस वक्त दक्षिण बिहार में भाजपा चुनाव की बागडोर माननीय श्याम जी गुप्त के पास थी। उस वक्त चुनाव परिणाम आने के बाद संध्या के समय हमारे आवास पर जीत की खुशी में रात्रि भोज का आयोजन हुआ जिसमें समाज के प्रबुद्धजन और भाजपा के नेतागण और प्रमुख कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
1995 में विधानसभा के चुनाव से पहले मुझे और गुलशन को माननीय आडवाणी जी ने दिल्ली बुलाया। उस वक्त श्री गोविन्दाचार्य जी के हाथों में दक्षिण बिहार की कमान थी। दिल्ली में माननीय आडवाणी जी ने हमें बुलाया और गुलशन को कहा कि इस बार केंद्रीय नेतृत्व रांची विधानसभा से श्री यशवंत सिन्हा को भाजपा का उम्मीदवार बनाना चाहती है। तुम दोनों पटेल हाउस जाकर उनसे मिलो और कल उनके साथ रांची जाओ और उनका नामांकन कराकर उन्हें जिताने का काम करो तथा यह भी कहा कि चुनाव का पूरा खर्च तुम सब को देखना है। माननीय यशवंत जी चुनाव लड़े, जीते और बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता बने। परंतु एक वर्ष बाद ही जैन हवाला कांड के कारण उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
रांची विधानसभा की सीट पर उपचुनाव होना था। उसी वक्त श्री गोविंदाचार्य जी भोजन पर हमारे आवास आए और हमारे परिवार से कोई उम्मीदवार बने इसके लिए हमारा मन टटोला। इसके बाद रांची विधानसभा के उपचुनाव में श्री चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह को भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया जो 1996 से आज तक झारखंड विधानसभा में रांची विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी हमारे आवास पर
माननीय प्रमोद महाजन रांची एक्सप्रेस की प्रिंटिंग यूनिट का अवलोकन करते हुए
1996 में अविभाजित बिहार के समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री अश्विनी कुमार (चाचा जी) ने मुझे भाजपा वनांचल प्रदेश का कोषाध्यक्ष बनाया। कुछ माह बाद मुझ पर 'रांची एक्सप्रेस' के संपादक का दायित्व आ जाने के बाद मैंने कोषाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया, पर भाजपा कार्यालय जाता रहता था। उस वक्त पार्टी का जो भी कार्य दिया जाता था उसे सक्रियता से पूरा करता था। उसी वक्त मित्रवर दीपक प्रकाश जी के साथ हमने दक्षिण बिहार में भाजपा की लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के वक्त साथ-साथ काम किया।
मुझे आज भी याद है कि वर्ष 1997 में एक बार गीता जयंती के कार्यक्रम में मुझे और माननीय बाबूलाल मरांडी जी को हजारीबाग जाना था। कार्यक्रम सर्दी में था और मुझे गीता जयंती पर भाषण देना था। यह मेरा पहला भाषण था। लिख कर ले गया। नुक्कड़ सभा शाम को 6:00 बजे थी। बिजली चली गई। लिखा हुआ पढ़ भी नहीं सका। पर जो याद था, वह बोला और 5 मिनट में समाप्त कर बाबूलाल जी को माइक पकड़ा दिया। फिर तो धीरे-धीरे भाषण देने का अभ्यास हो गया।
वर्ष 2000 में अक्टूबर में आदरणीय प्रधानमंत्री अटल जी के द्वारा तीन नए राज्यों के गठन की घोषणा की गई जिनमें झारखंड भी था। बिहार से 81 विधानसभा की सीटें झारखंड में आ गयीं और उसमें एनडीए के घटक दलों को मिलाकर भाजपा सरकार बनाने को तैयार थी।
केंद्र और राज्य के नेतागण का निरंतर रांची आगमन हो रहा था। मुख्यमंत्री पद के लिए दो नाम चर्चा में थे। एक श्री कड़िया मुंडा जी का और दूसरा केंद्र के तत्कालीन राज्य मंत्री श्री बाबूलाल मरांडी जी का।
15 नवंबर 2000 को राज्य गठन का निर्णय हुआ। नवंबर के प्रथम सप्ताह में राज्य गठन के पहले एनडीए के सभी विधायकों की पहली बैठक हमारे आवास पर हुई। जिसमें भावी मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल मरांडी के साथ-साथ बिहार प्रदेश के नेतागण, जिनमें श्री कैलाशपति मिश्र, श्री अश्विनी कुमार आदि उपस्थित थे। इस बैठक में माननीय इंदर सिंह नामधारी, अर्जुन मुंडा, रघुवर दास, सरयू राय,मधु कोड़ा, लाल चन्द्र महतो, पशुपतिनाथ सिंह, समरेश सिंह, अभय कान्त प्रसाद, यदुनाथ पाण्डेय, प्रदीप यादव आदि नेतागण उपस्थित थे। उस वक्त की कुछ तस्वीरें...
सरकार 15 नवंबर, 2000 को बनी और मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल मरांडी बने। पार्टी में मुझे शपथ ग्रहण कार्यक्रम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। हम सबने देश के गृहमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी, मदन लाल खुराना जी, जॉर्ज फर्नांडिस आदि नेतागण को एयरपोर्ट पर स्वागत किया। सभी एनडीए के विधायकों को रांची के होटलों में रुकवाने का प्रबंध प्रदेश भाजपा के द्वारा किया गया।
उसी वक्त प्रदेश भाजपा में मुझे आजीवन सहयोग निधि का प्रदेश प्रभारी बनाया गया और मैंने उस वक्त सभी सांसदों, विधायकों, जिला अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं के सहयोग से 75 लाख रूपये एकत्रित किये।
वर्ष 2001 में केंद्रीय वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा जी ने मुझे ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का 3 वर्षों के लिए निदेशक नियुक्त किया।
वर्ष 2002 में झारखंड बनने के बाद पहली बार होने वाला द्विवार्षिक राज्यसभा का चुनाव मार्च में होने वाला था। मैंने भी अपनी दावेदारी पेश की। संख्या बल के हिसाब से झारखंड की दो सीटों में से भाजपा एक सीट पर आसानी से जीत सकती थी।
माननीय प्रधानमंत्री जी, श्री लालकृष्ण आडवाणी जी और श्री यशवंत सिन्हा ने मुझे भाजपा का राज्यसभा प्रत्याशी बनाया और मैं निर्वाचित हुआ। दूसरी सीट पर झामुमो के श्री शिबू सोरेन जी भाजपा के अतिरिक्त वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार को पराजित कर जीते।
सांसद बनने के बाद 10 अप्रैल, 2002 को पहली बार संसद भवन पहुंचा।
पूर्व उप प्रधानमंत्री माननीय आडवाणी जी के साथ उनके निवास स्थान पर
बजट सत्र के दूसरे सत्र का पहला दिन था और उस दिन सभी निर्वाचित सांसदों को राज्यसभा के सभापति श्री कृष्णकान्त जी (अब दिवंगत) ने शपथ दिलवायी। आदरणीय अटल जी सदन में बैठे थे। शपथ लेने के बाद उन्हें मैंने झुककर प्रणाम किया और मुझे आवंटित जगह पर बैठ गया।
उसी वक्त गुजरात में दंगे हुए थे। अतः शपथ ग्रहण के बाद सदन की कार्यवाही नहीं चली। भाजपा संसदीय दल के कार्यालय गया, वहां पर कार्यालय का प्रभार अश्विनी चाचा जी (अब दिवंगत) के पास था तथा उनसे संसद भवन की कार्यवाही तथा अन्य सभी जानकारी प्राप्त की। उस वक्त हमारे दल से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद श्री रामनाथ कोविंद जी हाउस कमेटी के अध्यक्ष थे। उनसे मिला और उन्हें नई दिल्ली में आवास के लिए आवेदन दिया। सांसद बनने के पहले चूंकि मैं संपादक था इसलिए मैं स्वतंत्र कोठी के लिए पात्रता रखता था, पर मैंने फ्लैट का प्रस्ताव दिया।
शपथ लेने के बाद मैंने भाजपा के केंद्रीय कार्यालय जाकर अध्यक्ष श्री जैना कृष्णमूर्ति जी, श्री कुशाभाऊ ठाकरे जी एवं अन्य नेतागणों का आशीर्वाद लिया।
मैंने आदरणीय डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी, श्री वेद प्रकाश जी गोयल, श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी, श्री यशवन्त सिन्हा जी एवं अन्य वरिष्ठ मंत्रिगण से भी आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन लिया।
मुलाकात के वक्त श्री वेदप्रकाश गोयल जी (जहाज रानी मंत्री थे) ने मुझसे कहा कि तुम मेरा यह फ़्लैट ( जो उस समय स्वर्णजयन्ती भवन में रहते थे ) अपने नाम आवास आबंटित करा लो, मैं तो कोठी में जा रहा हूं।
पूर्व विदेश मंत्री माननीय जसवन्त सिंह जी के साथ
उनकी राय पर मैंने हाउस कमेटी के चैयरमैन श्री कोविंद जी से अनुरोध कर उनका फ्लैट अपने नाम आबंटित करा लिया जिसमें मैं नवंबर से रहने लगा। राज्यसभा सांसद बनने के बाद मुझे मेरी पार्टी की अनुशंसा पर ऊर्जा मंत्रालय की संसदीय कमेटी का सदस्य बनाया गया जिसके अध्यक्ष कांग्रेस के श्री संतोष मोहन देव थे। उसी दौरान हमारे देश में बिजली के क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ था। सभी राज्य सरकारों को बिजली विकास निगमों को तीन विभागों में बांटने का कार्य आरंभ करना था। वे थे उत्पादन, परिचालन और वितरण। और राज्यों के द्वारा किए जा रहे कार्यों का जायजा लेने के लिए हमने सभी राज्यों का दौरा किया।
इसके साथ-साथ मुझे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सलाहकार समिति का भी सदस्य बनाया गया जिसकी बैठक इस विभाग के मंत्री
श्री रवि शंकर प्रसाद करते थे।
वर्ष 2002 में ही देश के राष्ट्रपति के चुनाव में भी एनडीए के उम्मीदवार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को वोट दिया। उस वक्त डॉ. कलाम के प्रचार में श्री प्रमोद महाजन ने प्रमुख भूमिका निभायी थी। और कुछ दिनों बाद उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भैरों सिंह शेखावत के पक्ष में मतदान किया।
राज्यसभा के बजट सत्र में विभिन्न दलों के कई युवा सांसदों से परिचय हुआ। जिनमें कांग्रेस के राजीव शुक्ला, द्रमुक के तिरुचि शिवा, शिवसेना के
संजय निरुपम, रांकापा के प्रफुल पटेल, बीजेडी के जय पांडा, समता पार्टी के ललन सिंह, भाजपा के कृपाल परमार एवं अन्य ने मिलकर युवा सांसदों का एक फोरम बनाकर उसे मूर्त रूप देने का कार्य आरंभ किया।
माननीया सुषमा स्वाराज, शत्रुघन सिन्हा एवं थावर चन्द्र गहलोत जी के साथ।
2002 में संसद भवन के बाहर युवा सांसदों के साथ
अप्रैल, 2004 तक मैं सत्ता पक्ष का सांसद था, लेकिन 2004 के आम चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार आने के बाद विपक्ष में बैठा। और उस वक्त राज्यसभा में हमारे नेता माननीय जसवंत सिंह जी थे लेकिन मुझे वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य माननीय अरुण जेटली जी, श्रीमती सुषमा स्वराज जी, श्री एस. एस. अहलूवालिया जी जैसे कद्दावर नेताओं का स्नेह सदन में हमेशा मिला और सदन में पार्टी की ओर से विभिन्न बिलों पर पार्टी का पक्ष भी रखा।
2004 में ही मुझे रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की संसदीय समिति का सदस्य बनाया गया जिसके अध्यक्ष शिवसेना के लोकसभा सांसद श्री अनंत गीते जी थे। उस वक्त भी हमने KRIBCO, IFCO, BENGAL CHEMICAL आदि सरकारी उपक्रमों का निरीक्षण किया था। BENGAL CHEMICAL में निरीक्षण के दौरान श्री अनंत गीते जी की अनुपस्थिति में इस संसदीय समिति की अध्यक्षता मैंने की थी।
उसी दौरान श्री गीते के नेतृत्व में इस समिति के सदस्यगण UAE के OMAN में भारत के सहयोग से बनी उर्वरक कंपनी IMIFCO के निरीक्षण के लिए गए थे।
झारखंड के 2004-05 के विधानसभा चुनाव के प्रभारी श्री अनंत कुमार थे। उनके साथ संथाल परगना की कई विधानसभा सीटों पर जाने का अवसर मिला। उसी वक्त पार्टी ने कई विधायकों के टिकट काट दिए थे, उनमें
श्री मधु कोड़ा भी शामिल थे। पर मधु कोड़ा निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत गए।
2005 में विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा के अनुकूल नहीं थे। झामुमो ने बहुमत नहीं होते हुए भी सरकार कांग्रेस और निर्दलीयों के साथ मिला कर बनाने का निर्णय लिया और श्री शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बन गए।
भाजपा ने आजसू से विजयी हुए श्री सुदेश महतो, चंद्रप्रकाश चौधरी एवं निर्दलीय विधायक श्री मधु कोड़ा, एनोस एक्का, हरिनारायण राय आदि विधायकों को दिल्ली पहुंचाया गया। उस वक्त यह कार्य पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री वैंकया नायडू, श्री प्रमोद महाजन और श्री अनन्त कुमार के साथ मिल कर किया। उन्हें राष्ट्रपति जी के सम्मुख परेड कराई गई तथा श्री शिबू सोरेन जी को एक सप्ताह में ही त्यागपत्र देना पड़ा और भाजपा की सरकार श्री अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी।
पर पुनः कांग्रेस और अन्य ने दो वर्ष के अंदर ही श्री अर्जुन मुंडा की सरकार को गिराकर श्री मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री बना दिया, जिनके कार्यकाल के भ्रष्टाचार के किस्से आज तक याद किए जाते हैं।
श्री मधु कोड़ा तथा उनके मंत्रिमंडल के कई सहयोगीयों जिनमें एनोस एक्का, हरिनारायण राय, बंधु तिर्की, कमलेश सिंह आदि पर अंतत: मुकदमे हुए और यह सरकार भी ज्यादा दिनों तक नहीं चली और प्रदेश में पुनः राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
श्री कोड़ा राज्य के चौथे मुख्यमंत्री बने। वह 14 सितंबर 2006 से 23 अगस्त 2008 तक मुख्यमंत्री रहे।
मुझे आज भी अपने राज्यसभा कार्यकाल के दौरान फरवरी 2006 में संसद भवन के एनेक्सी में प्रत्येक मंगलवार को होने वाले संसदीय दल की बैठक का दिन याद है। जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रावैंकया नायडू जी ने श्री यशवंत सिन्हा जी और मुझे रांची जाने को कहा तथा श्री बाबूलाल मरांडी जी, जो उस वक्त कोडरमा के सांसद थे, से बात करके उन्हें मनाने को कहा कि वह भाजपा नहीं छोड़े क्योंकि उसी दिन श्री मरांडी ने भाजपा छोड़ने और नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था।
मैं और श्री यशवंत सिन्हा जी बैठक से सीधे दिल्ली एयरपोर्ट गए और रांची पहुंचे। श्री यशवंत सिन्हा जी ने श्री बाबूलाल जी से बात की जो उस वक्त गिरिडीह जिले में थे और तय हुआ कि वे हजारीबाग स्थित यशवंत जी के घर पहुंचेंगे। मैं और यशवंत जी रांची पहुंचकर एयरपोर्ट से सीधे हजारीबाग पहुंचे और कुछ देर के बाद बाबूलाल जी भी पहुंचे। मेरी और यशवंत जी की उनसे लंबी वार्ता हुई पर वे नहीं माने और अंततः उन्होंने भाजपा से और कोडरमा लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और अपनी नई पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया।
उस वक्त उनके साथ भाजपा के कई वरिष्ठ नेतागण भी पार्टी छोड़कर उनके साथ चले गए। पर सुखद बात यह है कि आज एक नेता श्री प्रदीप यादव, जो अब कांग्रेस में हैं को छोड़कर सभी भाजपा के सक्रिय नेता हैं।
वर्ष 2006 में मुझे सरकारी उपक्रमों की महत्वपूर्ण कमेटी (COPU) का सदस्य बनाया गया। इस कमेटी के अध्यक्ष पश्चिम बंगाल के वामपंथी सांसद श्री रूप चंद्र पाल थे। इस कमेटी में मैं अपने राज्यसभा के कार्यकाल तक रहा और इस दौरान देशभर के कई सरकारी उपक्रम जैसे- Airport Authority, NALCO, NTPC, NHPC, NMDC, COAL INDIA आदि शामिल थे।
2006 में ही मुझे राज्यसभा में हमारे दल ने पार्टी व्हिप बनाया।
मेरे 2002 में राज्यसभा सांसद बनने के बाद मुझे राज्यसभा के हुए द्विवार्षिक एवं उपचुनावों की जिम्मेवारी दी गई जिसमें श्री देवदास जी आप्टे,श्री अभयकांत प्रसाद और श्री दिग्विजय सिंह (जदयू) उपचुनाव जीतकर तथा श्री यशवंत सिन्हा और श्री एसएस आहलूवालिया 2004 और 2006 के द्विवर्षिक चुनाव में विजयी होकर राज्यसभा सांसद बने। मेरे बाद पार्टी ने श्री जे. पी. एन. सिंह को राज्यसभा में भेजा।
मेरे 6 वर्षों में सांसद के नाते अपने विवेक से खर्च करने के लिए 12 करोड़ रुपये सांसद निधि से आवंटित किए गए थे, जिसमें से अधिकांश राशि का उपयोग मैंने झारखंड के विभिन्न जिलों में शिक्षा के क्षेत्र में, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं एवं हमारे दल के विधायकों की अनुशंसा पर किया।
वैसे तो कई योजनाओं के लिए मैंने सांसद मद की राशि दी, पर मेरे तीन उल्लेखनीय कार्य आज भी याद किए जाते हैं जिनमें पहला मानसिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद करने वाली संस्था 'दीपशिखा' के महिलोंग में भवन के निर्माण का है, जिसका उद्घाटन राज्यसभा में मेरी सहयोगी सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री श्रीमती हेमा मालिनी जी ने किया था। दूसरा, झारखंड हाईकोर्ट के उस वक्त के न्यायमूर्ति एम.वाई. इकबाल जी के अनुरोध पर डोरंडा में गरीब और कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने वाली संस्था 'झालसा' के भवन का था, जिसका उद्घाटन न्यायमूर्ति ...... ने किया था। और तीसरा, भारतीय पुलिस सेवा के अतिथि भवन का निर्माण (खुखरी अतिथि भवन), जो डोरंडा के जैप ग्राउंड में है, जिसका उद्घाटन 2008 में तत्कालीन झारखंड के डीजीपी और वर्तमान में पलामू के सांसद श्री वी.डी. राम जी ने किया था।
मैंने सांसद रहते दूसरी बार 2007 में उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के चुनाव में अपना मत दिया। राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कांग्रेस और उसके समर्थक दलों ने श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी को उम्मीदवार बनाया जबकि एनडीए ने श्री भैरों सिंह शेखावत को। हम एनडीए के सांसदों ने श्री शेखावत जी को मत दिया, पर श्रीमती प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति चुनी गयीं।
2002 में आजीवन सहयोग निधि की बैठक में प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष श्री अभयकान्त प्रसाद एवं अन्य नेतागण
पूर्व रेलमंत्री श्री नितीश कुमार जी के साथ वर्ष 2002 में रेलभवन में
माननीय अरुण जेटली जी के साथ
9 अप्रैल, 2008 में मेरा राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया। अपने 6 वर्षों के कार्यकाल में मैंने अपने दल के सांसदों और संगठन के वरिष्ठ जनों से बहुत कुछ सीखा। मेरे साथ हमारे दल की श्रीमती माया सिंह (मध्य प्रदेश), श्री सुरेन्द्र लाल (ओडिशा), कृपाल परमार (हिमाचल ), श्रीमती हेमा मालिनी, श्री शत्रुघ्न सिन्हा (बिहार) एवं बीजू जनता दल के श्री जय पण्डा से मेरी घनिष्ठता थी।
अप्रैल, 2008 में केन्द्रीय नेतृत्व ने मुझे आजीवन सहयोग निधि का केंद्रीय सह प्रभारी बनाया तथा 10 राज्यों का प्रभार दिया। साथ-साथ केन्द्रीय संगठन मंत्री श्री रामलाल जी ने मुझे बिहार के दरभंगा एवं किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में 2008 में भेज कर पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी लोकसभा चुनाव में संभावित प्रत्याशियों की राय जानने को भेजा। केन्द्रीय नेतृत्व ने मुझे झारखण्ड में वर्ष 2009 में हुए राज्यसभा के उपचुनाव में और 2010 के द्विवार्षिक चुनाव में उम्मीदवार बनाया, पर दोनों उपचुनावों में संख्या बल हमारे दल के साथ नहीं था, अतः दोनों चुनाव में सफलता नहीं मिली।
वर्ष 2011 में एक बार पुनः प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया और श्री अर्जुन मुंडा जी उस वक्त जमशेदपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद थे।
राष्ट्रपति शासन लगने की वजह से 2010 के विधानसभा चुनाव के बाद झामुमो एवं भाजपा ने मिलकर प्रदेश में सरकार बनाई और श्री शिबू सोरेन जी मुख्यमंत्री और श्री रघुवर दास जी उप मुख्यमंत्री बने। पर मुख्यमंत्री रहते श्री सोरेन तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में राजा पीटर से हार गए थे और तभी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा।
भाजपा ने 2011 में पुनः सरकार बनाने की कोशिश की और श्री हेमंत सोरेन और श्री सुदेश महतो के साथ दिल्ली में श्री अर्जुन मुंडा और श्री यशवंत सिन्हा जी के साथ बैठक की और सब की सहमति के बाद केंद्रीय संगठन को जानकारी दी और फिर 2011 में श्री अर्जुन मुंडा दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और खरसावां विधानसभा के भाजपा विधायक ने अपनी सीट खाली की और श्री अर्जुन मुंडा और उस सीट के उप चुनाव में विजयी हुए। श्री मुण्डा के मुख्यमंत्री चुने जाने के तुरंत बाद नई दिल्ली में प्रदेश के सभी सांसदों के साथ रात्रि भोज का आयोजन किया गया जिसमें श्री कड़िया मुण्डा, श्री यशवन्त सिन्हा, श्री पशुपतिनाथ सिंह, श्री रविन्द्र पाण्डेय, श्री निशिकांत दूबे, श्री देवीधन बेसरा,
श्री सुदर्शन भगत, श्री जेपीएन सिंह, कांग्रेस की राज्यसभा सांसद मेवेल रिवेलो के अलावा प्रदेश अध्यक्ष श्री दिनेशानन्द गोश्वामी एवं पूर्व सांसद धीरेन्द्र अग्रवाल उपस्थित थे और संसद में प्रदेश के मुद्दों को उठाने पर चर्चा हुई। उस वक्त की कुछ तस्वीरें…
नवम्बर 2003 में हमारे एक कार्यक्रम में पधारे उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत एवं सांसद श्री दिग्विजय सिंह
2004 के चुनाव में रांची आगमन पर छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह के सम्मान में रखे रात्रि भोज में श्री सौदान सिंह एवं श्री प्रभात झा के साथ
वर्ष 2013 में प्रदेशभाजपा का प्रवक्ता बनाया गया और 2017 में भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने मुझे अंतरराष्ट्रीय समिति के झारखण्ड प्रदेश का संयोजक नियुक्त किया।
2013 में भाजपा के चुनाव समिति के प्रमुख के रूप में 30 दिसंबर, 2013 को माननीय नरेंद्र मोदी की एक विशाल जनसभा धुर्वा में आयोजित की गई थी। उस कार्यक्रम में भी भाजपा झारखंड के संगठन मंत्री माननीय श्री राजेंद्र सिंह जी ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी। उस वक्त प्रदेश में झामुमो की सरकार थी और श्री हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बहुत अच्छी सफलता प्राप्त की। झारखंड भाजपा ने इस दौरान मुझे कई प्रमुख कार्य दिये। केंद्र में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर अल्बर्ट एक्का चौक ( फिरायालाल चौक ) पर आतिशबाजी का कार्यक्रम रखा गया।
नवंबर, 2014 में झारखंड विधानसभा के चुनाव में भी पार्टी ने कई जिम्मेदारियां मुझे दीं। केंद्र से आये श्री भूपेंद्र यादव जी और श्री सौदान सिंह जी ने कड़ी मेहनत कर भाजपा को झारखंड में सत्ता दिलाई और श्री रघुवर दास मुख्यमंत्री बने।
पुनः 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण तथा 12 मई को बेटी राधिका के विवाह के चलते अधिक सक्रियता से पार्टी के लिए कार्य नहीं कर सका। नवंबर, 2019 में झारखण्ड विधानसभा के चुनाव में फिर सक्रिय हुआ। केंद्र से पधारे श्री ओम माथुर जी के साथ कई स्थानों पर प्रचार के लिए गया तथा उस चुनाव में माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय गृहमंत्री जी की सभा की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी गयी।
उसी प्रकार वर्ष 2022 में यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद भारतीय छात्रों की वापसी की जानकारी के लिए झारखण्ड का प्रभारी बनाया गया। अभी झारखण्ड प्रदेश भाजपा कार्यसमिति का सदस्य हूं।
2007 में अमेरिका यात्रा
भारत अमेरिका संसदीय फॉर्म का गठन 27 मार्च 2002 को हुआ था। स्वायत्तता प्राप्त इस बॉडी को तत्कालीन केंद्रीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने लॉन्च किया था। जिसके अंतर्गत समय - समय पर अमेरिका और भारत के सांसद एक दूसरे के देशों का भ्रमण कर विभिन्न सरकारी विभागों का परिदर्शन तथा वहां के प्रमुख उद्योगों की जानकारी लेनी होती हैं।
सांसद रहते 11 फरवरी 2007 से 17 फरवरी 2007 तक फिक्की के द्वारा छह सांसदों का एक शिष्टमंडल में शामिल हुआ। अमेरिकी तथा भारतीय सांसदों के फोरम की India-US Forum of Parliamentarians ने अमेरिका के भ्रमण का कार्यक्रम बनाया जो काफी दिलचप्स एवं रोचक था। इस यात्रा में न्यूयार्क तथा वाशिंगटन डीसी की यात्रा प्रमुख थी। भारतीय शिष्टमंडल में बिजू जनता दल के सांसद वी जे पांडा, जो शिष्टमंडल के नेता थे। शिवसेना के तत्कालीन सांसद सुरेश प्रभु (पूर्व रेलवे मंत्री ), टीएमसी के तत्कालीन सांसद दिनेश त्रिवेदी, एनसीपी के सांसद रोबर्ट खरसिंग, कांग्रेस के सांसद सचिन पायलट तथा भाजपा सांसद के रूप में मुझे शिष्टमंडल में शामिल किया गया।
हम एयर इंडिया की विमान संख्या 111 से न्यूयॉर्क भाया लन्दन जाने के लिए रवाना हुए। हमारा विमान लन्दन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर रुका और हमने वहां कुछ समय आराम किया। पुन: एयर इंडिया के कोणार्क जेट विमान के प्रथम श्रेणी में बैठकर न्यूयॉर्क की यात्रा के लिए निकल पड़ें। हीथ्रो हवाई अड्डे की खूबसूरती एवं यात्रियों के लिए सुविधा देखकर मन खुश हो गया। लंदन से न्यूयॉर्क की उड़ान आठ घंटे की थी। न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास के अधिकारीयों ने हमें हयात होटल में ठहराया ।
12 फरवरी को हम जॉनसन एन्ड जॉनसन मुख्यालय पहुंचें और वहां के अधिकारियों से उनके उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस कम्पनी के उत्पाद भारत सहित कई देशों में बिकते हैं। कंपनी के अधिकारीयों के साथ व्यापार के सम्बन्ध में बातचीत हुई जो काफी रोचक थी। वहां से हम सब ने सयुंक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन महासचिव बान की मून से मुलाकात की और संस्था के कार्यों पर चर्चा की।
वहीँ, वहां कार्यरत वर्तमान सांसद शशि थरूर एवं विजय नाम्बियार से भी हमारी मुलाकात हुई। यह मुलाकात काफी अच्छी रही।
हमने इनसे भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पेयजल की समस्या पर बातचीत की। बाद में सबके साथ एक फोटो सेशन भी हुआ। वहां से हमें होटल रेडिशन ले जाया गया। होटल शानदार था।
अगले दिन 13 फरवरी को हम Biotechnology Industry Organisation के अधिकारीयों के साथ बायोटेक पर चर्चा की।
दोपहर में न्यूयॉर्क के हॉवर्ड क्लब में मेनहटन राउंड टेबल तथा न्यूयॉर्क के प्रमुख उद्योगपतियों के साथ उनके द्वारा स्थापित उद्योगों पर चर्चा हुई।
इस कार्यक्रम में हम सभी छह सांसदों के अलावा भारत की तत्कालीन वाणिज्य दूत श्रीमती नीलम देव ने अपने - अपने विचार व्यक्त किए। वहां से हमारा काफिला एशिया सोसाइटी के लिए रवाना हुआ। वहां विशेष सेज ( Special Economic Zone ) पर विस्तार से चर्चा की। चर्चा में दिलचप्स बातें सामने आयी।
वहां से हम रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुए। और फिर रेल से वासिंगटन गए। स्टेशन साफ़ सुथरा था। रात्रि नौ बजे वासिंगटन पहुंचे। तब वहां ठण्ड काफी अधिक थी।
वहां हम होटल मेडिशन में रुके। जहाँ एक रेस्त्रां में स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन का स्वाद लिया। होटल एक भारतीय का था।
हमारा चौथा दिन अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में काफी व्यस्त था।
हमारी पहली बैठक अमेरिका के वित्त उप सचिव तिमोथी एडम्स के साथ हुई। बैठक में अमेरिका एवं भारत से जुड़े कई व्यावसायिक मुद्दों पर चर्चा हुई। उसके बाद दवा उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ भोजन पर बातचीत हुई। बैठक में दवा कंपनियों के पेटेंट से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक का आयोजन जॉनसन एन्ड जॉनसन के द्वारा किया गया था।
तीसरी बैठक अमेरिका के वाणिज्य उप सचिव डेविड सेम्पसन के साथ भारत -अमेरिका के संबंधों पर चर्चा हुई।
रात्रि भोज अमेरिका में भारत के राजदूत रोनेन सेन के सरकारी आवास पर हुआ जिसमें अमेरिका संसद के दोनों सदनों के कई सांसद भी मौजूद थे।
15 फरवरी को हमारी बैठक भारत समर्थक कोंग्रेसमेन जिम मेक्डर मॉट तथा अन्य कांग्रेस जनों से हुई। इस बैठक में ईरान गैस पाइप लाइन तथा पाकिस्तान के साथ सम्बन्धों पर चर्चा हुई।
दूसरी महत्वपूर्ण बैठक विदेश विभाग के उपसचिव निकोलस बर्न्स के साथ हुई। यह बैठक काफी महत्वपूर्ण इसलिए थी क्योंकि इसमें भारत अमेरिका परमाणु समझौता पर विस्तार से चर्चा हुई।
इसीदिन CSIS (सेंटर फॉर इंस्ट्राजिक एन्ड इंटेरनेशनल स्टडीज) के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत हुई जिसमें परमाणु ऊर्जा , किसनों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं तथा जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में वार्ता हुई।
भारत में परमाणु ऊर्जा सयंत्र की स्थापना की जरूरत के परिपेक्ष में यह बातचीत काफी महत्वपूर्ण थी। तत्पश्चात अंतिम बैठक मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता हुई। बैठक में मेडिकल उपकरणों और इसकी भारत में आवश्यकता के बारे में चर्चा हुई।
अमेरिका में अंतिम दिन वाशिंगटन में कृषि उप सचिव मार्क किनवन के साथ बैठक हुई जिसमें दोनों देशों के कृषि एवं कृषि उत्पादों पर चर्चा हुई।
उसके बाद ऊर्जा सचिव सैमुएल बोर्डमैन तथा सहायक सचिव करेन एडमेन के साथ बैठक हुई, जिसमें भारत की ऊर्जा की जरूरतों एवं परमाणु समझौते में अड़चन पर चर्चा हुई।
हमारी अंतिम बैठक अमेरिका के रक्षा भवन यानि पेंटागन में हुई। जहाँ रक्षा सचिव एरिक एल्डरमैन के साथ बहुत महत्वपूर्ण था। पेंटागन पुरे विश्व में मशहूर है। इस बैठक में दोनों देशों के बीच आंतरिक मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में भारत के साथ भविष्य में होने वाले समझौतों पर भी चर्चा हुई।
इसमें भविष्य में एफ 16 , एफ 18 विमानों की खरीद का विषय प्रमुख था।
अगले दिन 17 फरवरी को हम ट्रेन से वापस न्यूयॉर्क के लिए चल पड़ें तथा एयर इंडिया के विमान से लंदन , मुंबई होते हुए दिल्ली पहुंचे।
ये 7 दिनों की यात्रा मेरे लिए एक नया अनुभव था। इस यात्रा के दौरान अमेरिका के कई विभागों के अधिकारीयों से मिलने एवं वार्ता करने का अवसर मिला। साथ - साथ दूसरे दलों के अनुभवी सांसदों से बहुत कुछ सिखने का मौका मिला। मैं अपने सांसद मित्रों के आलावा इंडो यूएस फोरम ऑफ़ पार्लियामेंटरियन के फिक्की निदेशक श्री रमेश चंद्रा एवं फिक्की यूएसए की वाशिंगटन में रह रही श्रीमती रंजना खन्ना जी का भी आभारी हूँ जिसके सहयोग से यह यात्रा सफल रही।
अमेरिका यात्रा के दौरान कुछ निजी कार्यक्रमों में भाग लिया। मैं शैवाल सहाय के भाई मुन्नू सहाय के घर भी गया। आज मेरे साथ गए तीन सांसद श्री बीजे पाण्डा, सुरेश प्रभु और दिनेश त्रिवेदी भाजपा में हैं और श्री सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री हैं।
अमेरिका की कांग्रेसवूमन इलीना रोस लेहटिनन के साथ उनके कार्यालय में